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जब पीड़ा की हो कई परतें

बात जब अपनी या अपनों की हो, तो हम कोई कसर नहीं छोड़ते। पर कई बार हम चाहकर भी सब कुछ नहीं कर पाते। कभी चीजें बूते से बाहर होती हैं, तो कई बार सब कुछ होने पर भी हाथ खाली रह जाते हैं। आप दुखी होते हैं, दूसरों को कोसते हैं। खुद को दोष देते रहतेे हैं, पर इससे दुख तो कम नहीं होता! मन को समझा लेना ही काफी नहीं होता, उसे ठीक से समझाना पड़ता है। अपने इमोशनल स्ट्रेस को कैसे डील करें, तेरी-मेरी बात में आज इसी पर बात।
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