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रत्नावली शक्तिपीठ - खानाकुल, आरामबाग, पश्चिम बंगाल

ऋषि राजा सूरत को बताते हैं कि राजन जब ब्रह्मा जी ने वहां मधु और कैटव को मारने के उद्देश्य से भगवान विष्णु को जगाने के लिए तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा कि इस प्रकार स्तुति की तभी भगवान के नेत्र मुख कमल नासिका और वक्ष स्थल से निकलकर अव्यक्त जन्में ब्रह्मा जी की दृष्टि के समक्ष खड़ी हो गई योग निद्रा से मुक्त होने पर स्वामी भगवान जनार्दन निद्रा से जाग उठे फिर उन्होंने उन दोनों को देखा दोनों मधु और कैटव अत्यंत बलवान और पराक्रमी थे और क्रोध से लाल आंखें किए ब्रह्मा जी को खा जाने के लिए उनकी और तेजी से बढ़ रहे थे तब भगवान श्रीहरि ने क्या किया और ये कथा नवरात्री के पवन पर्व से कैसे जुड़ी है जानने के लिए सुनिए पूरा एपिसोड।
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